हेलो फ्रैंड्स लॉक डाउन मै घर पे बैठे बैठे आप शब् लोग परेशान हो गए होंगे ना।गभरने की जरुरत नहीं है में आप सब के लिए लाया हु एक बहेतरीन ब्लॉग जिसको पढ़ने से आप एक बहेतरीन टूर क्या प्लेन कर सकते हो।
मित्रो आप सब को हिल स्टेशन पे जने का बहुत मन होगा तो जान कहा है और कैसे है। वो सब कुछ मन में चल रहा होगा न तो पहला काम अआप का ये है की कहा जाने की आप की ऐच्छ है। जहा खर्चा काम हो और मजा बहुत आये ऐसे तो बहुत सरे है हिल स्टेशन तो में आपको बतावु का ऐसे ३ हिल स्टेशन के बारे मै।
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ऊटी -पहाड़ियों की रानी |
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ऊटी नीलगिरी की सुंदर पहाड़ियों में स्थित एक सुंदर शहर है। इस शहर का अधिकारीक नाम उटकमंड तथा पर्यटकों की सुविधा के लिए ऐश ऊटी का संक्षिप्त नाम दिया गया है।भारत के दक्षिण में स्थित ऐश हील स्टेशन में कई पर्यटन आते है।यह शहर तमिलनाडु के नीलगिरि जिले का एक भाग है
ऊटी शहर के चारो और नीलगिरि पहाड़ियों के कारन ेशकी सुंदरता बढ़ जाती है। इन पहाड़ियों को ब्लू माउन्टेन (नील पर्वत ) भी कहा जाता है। कुछ लोगो का ऐसा विश्वास है की इस स्थान का नाम यहाँ घटियों में १२ वर्ष में एक बार फूलने वाले कुरुंजी फूलों के कारण पड़ा। ये फूल नील रंग के होते है तथा जब ये फूल खिलते है तो घाटियों को नील रंग में रंग देता है।
ऊटी में तथा इसके आसपास पर्यटन स्थल
- बोटेनिकल गार्डन
- दोदोबड्डा उद्यान
- ऊटी झील
- कलहट्टी प्रपात
- फ्लॉवर शो
- पैकरा वाटरफॉल्स
- साल्ट क्रीक फाल्स
- लोवेडले
अवलेंच ,ग्लेंमोर्गनका शांत और प्यारा गॉंव आदि ऊटी के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल है।
ऊटी कैसे पहुंचे
ऊटी तक रस्ते से और ट्रैन द्वारा आसानी से पंहुचा जा सक्ता है। ऊटी का निकटत्तम हवाई अड्डा कोम्यबटूर है
आप टूर और ट्रवेल प्लेन करने वाली कंपनी सकते हो
ऊटी का मौसम
ऊटी की स्थिति के कारण यहाँ का मौसम पुरे साल खुशनुमा रगता है।
हालांकि ठंड में दक्षिण भारत के अन्य भागो की तुलना में यहा का मौसम अधिक ठंडा रहता हैं
ऊटी का लुप्त इतिहास
ऊटी में पुराने विश्व का एक आकर्षण है जो आज भी बे जोड़ है।जब आप ऊटी में भ्रमण करते है तब यहाँ की वस्तुकल तथा कुछ इमारतो के
डिज़ाइन को देखकर आप पुराने समय में पहुँच जाते हैं। वे आपको बीते हुए
समय की याद दिलाती हैं। ऊटी के पतन का कोई इतिहास नहीं है। ब्रिटिश लोगों
के आने के बाद इसका उदय प्रारंभ हुआ। हालाँकि इन बीती दो शताब्दियों में इस
शहर ने ऐसा इतिहास बनाया है जो पहले कभी नहीं था या जो हमारे लिए लुप्त
था।
आधुनिक विश्व के लिए ऊटी का इतिहास ब्रिटिश लोगों के आने के बाद से प्रारंभ
होता है, मुख्य रूप से सिपाहियों के आने के बाद से। जैसे ही आप इस शहर में
प्रवेश करते हैं वैसे ही आपको यह पता चल जाता है कि इस शहर पर ब्रिटिश
लोगों का प्रभाव है। कला और इमारतों की वास्तुकला, घरों के डिज़ाइन और
निर्माण की शैली सभी कुछ ब्रिटिश काल से मिलता जुलता है।
यहाँ के स्थानीय लोगों के जीवन पर ब्रिटिश परंपराओं का बहुत गहरा
प्रभाव पड़ा है। स्थानीय खाद्य पदार्थों पर भी अंग्रेज़ी डिशेज़ (खाद्य
पदार्थों) का प्रभाव दिखाई देता है। इसके परिणामस्वरूप आपको ऊटी में
अंग्रेज़ी और भारतीय मसालों के सम्मिश्रण से बना सबसे उत्तम खाना खाने मिल
सकता है।
ब्रिटिश लोगों ने मेहनती स्थानीय लोगों के साथ मिलकर ऊटी को सफलता दिलवाई।
समृद्ध सांस्कृतिक विरासत केवल ऊटी में ही देखने मिलती है। अत: आज यह कहना
गलत होगा कि ऊटी का कोई ऐतिहासिक भूतकाल नहीं है या भारत के विकास में इसका
कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है।
ऊटी आकर्षण
१.
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वेनलॉक डाउंस, ऊटी
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वेनलॉक डाउंस ऊटी के पास स्थित एक प्रसिद्ध स्थान है तथा यह स्थान
बहुत सुंदर होने के कारण मुख्य रूप से शूटिंग के लिए प्रसिद्ध है। ढलावदार
पहाड़ियां, घास के हरे मैदान, बड़ी जगह तथा दूर दूर तक फ़ैली हुई हरियाली आपके
दिल को खुश कर देते हैं। वेनलॉक डाउंस लगभग 20,000 एकड़ के क्षेत्र में
फैला हुआ है इस स्थान में यूकेलिप्टस के वृक्षों की कतारें हैं।
स्वतंत्रता के पूर्व यह स्थान यूरोपीयन लोगों में बहुत लोकप्रिय था जो
शिकार के लिए अक्सर यहाँ आते थे। यह वह स्थान था जहाँ लोकप्रिय उटकमंडलम
शिकार हुआ था। जब स्वतंत्र भारत में जब शिकार पर प्रतिबन्ध लगा तब यह स्थान
स्थानीय लोगों में एक पिकनिक स्थान के रूप में लोकप्रिय हुआ।
२.
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ऊटी लेक (झील), ऊटी
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ऊटी की सैर के लिए आने वाले पर्यटकों में ऊटी झील सबसे अधिक लोकप्रिय
स्थान है। यह झील मानव निर्मित है जिसका निर्माण जॉन सुल्लिवन ने 1824 में
किया था तथा यह लगभग 65 एकड़ के क्षेत्र में फ़ैली हुई है। मानसून के दौरान
पहाड़ों से बहकर आने वाले पानी को एकत्रित करके इस झील का निर्माण किया गया।
हालाँकि इसके आवश्यकता से अधिक भर जाने के कारण इसे लगभग तीन बार खाली
किया गया। इसका निर्माण स्थानीय मछुआरों द्वारा मछली पकड़ने के उद्देश्य से
किया गया। झील अब वास्तविक आकार में नहीं है तथा अनेक भौगोलिक कारकों के
कारण और बस स्टैंड, रेस कोर्स और लेक पार्क बनने के कारण छोटी हो गई है।
३.
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एवलेंच, ऊटी |
एवलेंच झील नीलगिरी की पहाड़ियों में स्थित है तथा ऊटी शहर से लगभग 28
किमी. की दूरी पर स्थित है। 19 वीं शताब्दी में यहाँ बर्फ की चट्टान के
सरकने के कारण यह झील बनी थी। इसी आधार पर इसका नाम रखा गया है।
यह झील पर्यटकों तथा स्थानीय लोगों में समान रूप से लोकप्रिय है। झील के
आसपास का क्षेत्र जादुई है। झील के आसपास की पहाड़ियां वर्ष में अधिकाँश समय
मैग्नोलिया (सफ़ेद या गुलाबी रंग के फूल), बुरुंश और ऑर्किड के फूलों से
ढंकी रहती हैं तथा यहाँ के दृश्य को अलौकिक बनाती हैं। झील के आसपास अनेक
पर्यटक टहलते हुए दिखाई देते हैं। ट्राउट (एक प्रकार की मछली) से भरी इस
झील में अनेक लोग मछली पकड़ना पसंद करते हैं। वास्तव में इसके पास एक ट्राउट
प्रजनन केंद्र भी खोला गया है जहाँ पर्यटकों के लिए फिशिंग रॉड, मछलियों
का चारा तथा अन्य सामग्री उपलब्ध होती है।
. . .आभार. . .
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