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Friday, 8 January 2021

माउंट आबू – आश्चर्य से भरा एक पर्वत (Mount Abu)

 


माउंट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित एक प्रसिद्द हिल स्टेशन है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, आरामदायक जलवायु, हरी भरी पहाड़ियों, निर्मल झीलों, वास्तुशिल्पीय दृष्टि से सुंदर मंदिरों और अनेक धार्मिक स्थानों के लिए प्रसिद्द है। यह स्थान जैनियों के प्रसिद्द तीर्थ स्थानों में से एक है। यह हिल स्टेशन अरावली पर्वत की सबसे ऊँची चोटी पर 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
 
 माउंट आबू अपने शानदार इतिहास, प्राचीन पुरातात्विक स्थलों और अद्भुत मौसम के कारण राजस्थान के पर्यटन के आकर्षणों में सबसे बड़ा है। अधिकांशतः गर्मियों में और मानसून के दौरान यहाँ प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक और भक्त आते हैं। पिछले दशकों में यह हिल स्टेशन गर्मियों और हनीमून के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है।

 

पौराणिक कथाओं में माउंट

  आबू इस स्थान को ‘अर्बुदरान्य’ भी कहा जाता है, जिसका नाम नाग देवता ‘अर्बुदा’ के नाम पर पड़ा। किवदंतियों के अनुसार भगवान शिव के पवित्र बैल नंदी की रक्षा करने के लिए नागदेवता इस पहाड़ी के नीचे आए थे। अर्बुदारन्य का नाम बाद में बदलकर ‘अबू पर्वत’ या ‘माउंट आबू’ कर दिया गया। ऐतिहासिक रूप से यह स्थान गुर्जरों या गुज्जरों द्वारा बसाया गया और अर्बुदा पर्वत के साथ इनका जुड़ाव इस क्षेत्र में पाए जाने वाले शास्त्रों और शिलालेखों में दिखता है।

 माउंट आबू में पर्यटन स्थलों का भ्रमण 

 इस स्थान के प्रमुख पर्यटन स्थल नक्की झील, सनसेट पॉइंट, टोड रॉक, अबू रोड का शहर, गुरू शिखर चोटी और माउंट आबू वन्य जीवन अभयारण्य हैं। माउंट आबू में धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्मारक हैं जिनमें मुख्य रूप से दिलवारा के जैन मंदिर, आधार देवी मंदिर, दूध बावडी, श्री रघुनाथ जी मंदिर और अचलगढ़ किला आते हैं। 

माउंट आबू पहुँचना

  माउंट आबू रास्ते, रेल और वायुमार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। वायुमार्ग द्वारा यहाँ पहुँचने के लिए पर्यटक उदयपुर की उड़ान ले सकते हैं जो यहाँ से लगभग 185 किमी. की दूरी पर है। यहाँ वर्ष भर मौसम खुशनुमा रहता है हालांकि इस स्थान की सैर के लिए गर्मियों का मौसम सबसे अच्छा है।
  

कैसे पहुंचें माउंट आबू

 सड़क मार्ग

 नियमित बस और टैक्सी सेवा द्वारा इस शहर तक रास्ते द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। कई प्रमुख भारतीय शहरों जैसे नई दिल्ली, मुंबई, जयपुर, उदयपुर और अहमदाबाद से माउंट आबू के लिए बस सेवाएँ उपलब्ध हैं। यात्रियों की भीड़ के अनुसार बसों की आवृत्ति दैनिक से साप्ताहिक होती है। बस का किराया बस की सुविधाओं और आराम पर निर्भर करता है।

 ट्रेन द्वारा

 माउंट आबू तक रेल द्वारा पहुँचा जा सकता है जहाँ निकटतम रेलवे स्टेशन अबू रोड़ शहर है जो 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। अबू रोड़ स्टेशन दो बड़े महानगरों मुंबई और नई दिल्ली को जोड़ने वाले मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है। यहाँ से कई मुख्य शहरों जैसे बेंगलुरू, हैदराबाद, नई दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद, पुणे, मुंबई, जयपुर, देहरादून और त्रिवेंद्रम के लिए रेल सेवा उपलब्ध है।

 एयर द्वारा

 हवाई मार्ग द्वारा माउंट आबू पहुँचने के लिए आप उदयपुर की उड़ान ले सकते हैं जो माउंट आबू का निकटतम हवाई अड्डा है। उदयपुर हवाई अड्डा इस शहर से 185 किमी. की दूरी पर स्थित है। एक अन्य उपलब्ध विकल्प यह है कि आप गुजरात के अहमदाबाद की उड़ान ले सकते हैं। गुजरात की इस राजधानी से सभी प्रमुख भारतीय शहरों के लिए उड़ाने उपलब्ध हैं। गुजरात का हवाई अड्डा माउंट आबू से 221 किमी. की दूरी पर स्थित है और यहाँ से हिल स्टेशन के लिए परिवहन सुविधा आसानी से उपलब्ध है। 

माउंट आबू इसलिए है प्रसिद्ध 

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 १. गुरू शिखर चोटी, माउंट आबू

 


गुरू शिखर चोटी अरावली क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी है जो माउंट आबू से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह 1722 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। पर्यटक इस भव्य शानदार चोटी पर पैदल ही जाते हैं। यात्री पहाड़ की चोटी से अरावली क्षेत्र का पूरा दृश्य देख सकते हैं।
 
 गुरू दत्तात्रय मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो इस पर्वत की चोटी पर स्थित है।यह मंदिर भगवान दत्तात्रय को समर्पित है जो दिव्य त्रिमूर्ति भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। इस पर्वत पर स्थित अन्य मंदिर शिव मंदिर, मीरा मंदिर और चामुंडी मंदिर है। इन मंदिरों के अलावा यहाँ वेधशाला भी है जहाँ से खगोलीय पिंडों की भूमि आधारित अवरक्त टिप्पणियाँ की जा सकती हैं। वेधशाला फिज़िकल रिसर्च लेबोरेटरी (पीआरएल) के प्रशासन के अधीन है।

 २.सनसेट पॉइंट, माउंट आबू

 



सनसेट पॉइंट माउंट आबू का शाम के पर्यटन का प्रमुख आकर्षण है जो नक्की झील के दक्षिण पश्चिम में स्थित है। इस स्थान की पृष्ठभूमि में सुंदर पहाड़ हैं, जो देखने में सुंदर लगते हैं, विशेषत: सूर्यास्त के समय।
 
 गर्मियों के मौसम में यह स्थान पर्यटन का एक लोकप्रिय आकर्षण रहता है क्योंकि बड़ी संख्या में यात्री इस स्थान के आरामदायक ठंडे परिवेश का आनंद उठाने के लिए यहाँ आते हैं। शॉपिंग में रूचि रखने वाले लोग पास स्थित हनीमून पॉइंट पर जा सकते हैं जो अपनी शिल्पकृतियों और खाने के स्थानों के लिए प्रसिद्द है। इस स्थान से पर्यटक यादगार के रूप में छोटी लकड़ी की मूर्तियाँ, आभूषण और खिलौने खरीद सकते हैं।

 ३.दिलवारा जैन मंदिर, माउंट आबू

 



  11 वीं और 13वीं शताब्दी में बने हुए दिलवारा जैन मंदिर माउंट आबू के ऐसे पर्यटन स्थल हैं, पर्यटकों को जिनका भ्रमण अवश्य करना चाहिए। ये मंदिर सफेद संगमरमर की नक्काशियों से बने हैं। ये मंदिर पाँच नाज़ुक नक्काशियों वाले मंदिरों से मिलकर बने हैं और संपूर्ण राजस्थान में ये सबसे सुंदर माने जाते हैं।
 
 सभी पाँच मंदिर एक दूसरे से भिन्न हैं जिनमें से प्रत्येक का नाम राजस्थान के एक गाँव के नाम पर रखा गया है। ये पाँच मंदिर हैं विमल वसाही मंदिर, लुना वसाही मंदिर, पीथालहर मंदिर, खरतार वसाही मंदिर और श्री महावीर स्वामी मंदिर। बड़ी संख्या में जैन भक्त यहाँ तीर्थंकरों (संत) के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने यहाँ आते हैं।
 
 इन मंदिरों की स्थापत्यकला की उत्कृष्टता का गवाह बनने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं। इन मंदिरों के बारे में अधिक जानने के लिए आप किराए पर गाइड (मार्गदर्शक) की सेवा भी ले सकते हैं। दिलवारा के जैन मंदिर माउंट आबू से ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं और यहाँ तक रास्ते द्वारा पहुँचा जा सकता है।
 

४. नक्की झील, माउंट आबू


नक्की झील माउंट आबू का एक अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जहाँ अनेक पर्यटक और स्थानीय लोग आते हैं। यह 1200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और भारत की एकमात्र कृत्रिम झील है। यह एक सुंदर और शांत स्थान है जिसकी पृष्ठभूमि में सुरम्य पहाडियाँ हैं। इस झील का नाम एक किवदंती के आधार पर पड़ा जिसके अनुसार इस झील की खुदाई देवों ने अपने नाखूनों से की थी जिससे वे दुष्ट राक्षसों से अपनी रक्षा कर सकें। एक अन्य किवदंती के अनुसार इस झील की खुदाई दिलवारा जैन मंदिर के एक मूर्तिकार रसिया बालम ने एक रात में की थी।
 

पर्यटक गाँधी घाट का भ्रमण भी कर सकते हैं जो महात्मा गाँधी की याद में बनाया गया था। 12 फरवरी 1948 को उनकी राख इस झील में विसर्जित की गई। इस झील के पास कई चट्टानी पर्वत हैं जो पर्यटकों और साहसिक कार्यों के प्रेमियों को रॉक क्लाइम्बिंग का अवसर प्रदान करते हैं। इसके अलावा आप यहाँ बोटिंग(नाव की सवारी) भी कर सकते हैं और इस झील के शांत और स्थिर पानी का आनंद उठा सकते हैं।

 ५.टोड रॉक, माउंट आबू

 



टोड रॉक माउंट आबू का एक जाना माना पर्यटन स्थल है जो नक्की झील के पास स्थित एक बड़ी चट्टान है। यह पहाड़ी शहर से मुख्य ट्रेकिंग के रास्ते पर स्थित है। इस बुलंद चट्टान का आकार मेंढक से मिलता है अत: इसे टोड रॉक कहा जाता है।
 
 इसके अलावा इस टोड रॉक के आसपास कई चट्टानी संरचनाएँ हैं जिनमें प्रमुख रूप से कैमल रॉक, नंदी रॉक और नून रॉक आते हैं। ये चट्टानें ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त है। इस चट्टानों के ऊपर पहुँचने पर ट्रैकर्स (पदयात्री) नक्की झील और उसके परिवेश का सुंदर दृश्य देख सकते हैं।

६. माउंट आबू वन्य जीवन अभयारण्य, माउंट आबू

 


इस हिल स्टेशन की सैर के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए माउंट आबू वन्य जीवन अभयारण्य एक अवश्य देखने योग्य स्थान है। यह अभ्यारण्य अरावली पर्वत श्रेणियों में स्थित है और यह 19 किमी. लंबे और 5 – 8 किमी. चौड़े पठार पर स्थित है। 
 
1960 में इसे वन्य जीवन अभ्यारण्य घोषित किया गया। यहाँ पर्यटक विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीवजन्तु देख सकते हैं जो प्रकृति प्रेमियों और वन्य जीवन उत्साहियों के लिए एक दावत के समान है। माउंट आबू वन्य जीवन अभयारण्य में फूलों की विविधता पाई जाती है। यहाँ लगभग 820 प्रजाति के पौधे पाए जाते हैं। यहाँ ऑर्किड फूलों की बड़ी विविधता भी पाई जाती है।
 
 हरियाली से घिरे होने के अलावा यह अभयारण्य अपने जीवजन्तुओं के लिए भी प्रसिद्द है। वन्यजीव प्रेमी यहाँ अनेक अद्वितीय और दुर्लभ प्रजातियों के जानवर देख सकते हैं। पहले इन पहाड़ों पर शेर और बाघ मिलते थे परंतु अब यहाँ केवल तेंदुएं मिलते हैं। फिर भी यहाँ अन्य जंगली प्रजातियां जैसे सांबर डियर, जंगली सुअर, भालू, सियार, भारतीय लोमड़ी, भेड़िया, हायना, छोटी भारतीय सीविट और जंगली बिल्ली पाए जाते हैं।

 ७. मोगली लैंड, माउंट आबू


अभी कुछ समय पहले ही माउंट आबू में आरन गाँव से 800 मीटर दूर पुरानी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। वन अधिकारियों के एक समूह को इस स्थान की खुदाई के दौरान प्राचीन बर्तन और ईंटें मिली हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि ये अवशेष 1000 वर्ष से भी ज़्यादा पुराने हैं जो उस समय के यात्रियों के आराम करने की जगह थी। 
 
 अब इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है। इस स्थान को मोगली लैंड कहा जाता है क्योंकि जंगल का यह स्थान रुडयार्ड किपलिंग की प्रसिद्द पुस्तक ‘द जंगल बुक’ के चित्र से मिलता जुलता है। इस पुस्तक में प्रमुख किरदार ‘मोगली’ था।

 ८.अबू रोड़, माउंट आबू



अबू रोड़, राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित एक शहर है। यह माउंट आबू के दक्षिण पूर्व में स्थित है। पहले यह शहर खराड़ी के नाम से जाना जाता था। अबू रोड़ सिरोही जिले का सबसे बड़ा शहर है जो समुद्र सतह से औसतन 263 मीटर की ऊँचाई पर बनास नदी के किनारे स्थित है। अबू रोड़ के कुछ प्रमुख पर्यटन आकर्षण गणेश मंदिर, ब्रह्म कुमारी आश्रम, चन्द्रावती मंदिर और भद्रकाली मंदिर हैं।

 ९.अंचलगढ़, माउंट आबू


अंचलगढ़ राजमाची में स्थित एक छोटा गाँव है। यह अंचलगढ़ किले के लिए प्रसिद्द है जो माउंट आबू से 11 किमी. की दूरी पर स्थित है। वे पर्यटक जो इस हिल स्टेशन की सैर के लिए आते हैं वे अंचलगढ़ किले के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण यहाँ अवश्य आते हैं। मूल रूप से परमार वंश के राजाओं द्वारा बनाए गए इस किले का पुनर्निर्माण ईसा पश्चात 1452 में मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा द्वारा किया गया।. 
 
अंचलगढ़ किले के परिसर में अंचलेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा विश्वास है कि इस मंदिर में स्थित चट्टान पर भगवान के पदचिन्ह हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के बैल नंदी की पीतल की बड़ी मूर्ति और पत्थर की भैसों की तीन बड़ी मूर्तियाँ भी स्थित है। इस किले में कई जैन मंदिर भी हैं जो इस स्थान के धार्मिक महत्व को बढ़ाते हैं। मंदिर के दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं एक हनुमानपोल और दूसरा चंपापोल। अंचलगढ़ किले का निर्माण शत्रुओं से इस क्षेत्र से रक्षा करने के लिए बनाया गया था जिससे निवासी सुरक्षित रह सकें।

१०. शंकर मठ, माउंट आबू



शंकर मठ एक भव्य पत्थर से बना हुआ शिवलिंग है जो भगवान शिव को समर्पित है। इसका निर्माण लगभग 25 वर्ष पूर्व हुआ था। यह स्थान माउंट आबू के मुख्य बाज़ार के पास स्थित है। शंकर मठ माउंट आबू का प्रसिद्द धार्मिक आकर्षण है जिसका नेतृत्व स्वामी महेशानंदजी गिरी करते हैं।

 ११. ऋषिकेश मंदिर, माउंट आबू


ऋषिकेश मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो अर्धचंद्राकार पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 7000 वर्ष पूर्व राजा अमरीश ने किया था, जिसने माउंट आबू में अमरावती सभ्यता की स्थापना की। इस मंदिर का नाम राजा अमरीश के इष्ट देवता भगवान ऋषिकेश के नाम पर पड़ा। किवदंती के अनुसार राजा 100 अश्वमेघ यज्ञ करने में सफल हुआ जिससे भगवान इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा पर आक्रमण कर दिया। हालांकि भगवान ऋषिकेश ने राजा अमरीश को भगवान इंद्र के क्रोध से बचा लिया।

 १२.श्री रघुनाथ जी मंदिर, माउंट आबू

 

श्री रघुनाथ जी मंदिर माउंट आबू का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आकर्षण है जो नक्की झील के किनारे स्थित है। कह जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में हिंदू पंडित श्री रामानंद ने करवाया था। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में बड़ी संख्या में वे भक्त आते हैं जो हिंदू धर्म के वैष्णव पंथ के अनुयायी हैं।
 
 भित्ति चित्रों और जटिल नक्काशियों से सुसज्जित यह मंदिर मारवाड़ की संस्कृति और वास्तुकला की विरासत का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण श्री रघुनाथ जी की भव्य मूर्ति है। भक्तों के अलावा यहाँ प्रतिदिन बड़ी संख्या में पर्यटक भी आते हैं। नक्की झील का भ्रमण करने के लिए आने वाले पर्यटक श्री रघुनाथ जी मंदिर का भ्रमण भी करते हैं ताकि वे स्थापत्य प्रतिभा के गवाह बन सकें।

 होटेल्स 

१. Hotel Hillock,माउंट आबू

 


अवलोकन विवरण

 The property is located amidst beautiful landscaped gardens and is conveniently located close to main commercial hubs of the city. It is also located close to the main market, Nakki Lake and bus stand. The luxury property welcomes guests in the spacious lobby with its dancing fountains whispering cascades & soft music. The impeccable amenities and hospitality provided attracts travellers all around the globe and makes it an ideal holiday getaway for both business and leisure travellers

 सुविधाएं

 The property offers numerous facilities to the guests to make their stay more pleasant and memorable. Some of the hotel facilities offered to the guests are: Doctor on Call Travel Desk Safe Deposit Locks Laundry Service Car Rentals Postal and courier services Massage Parlor Swimming Pool Round the clock room service Apart from these general amenities, the property has excellent dining options where guests can delight their taste buds by enjoying the meals served at the restaurant. One can dine at Mayur Restaurant which offers a wide array of delectable cuisines around the world to suit their buds.

 २.Rising Sun Retreat

 

सुविधाएं

 The luxury property offers exclusive facilities and conveniences to the travelers to make their stay more comfortable and memorable. Some of the facilities offered to the guests are: 
 Laundry service
 Room service from 7 am to 10 pm
 Doctor on call 
Travel assistance for local sightseeing by cab, bus or by two wheeler Car Parking Traditional Rajasthani cuisine

 


 

माउंट आबू फोटो

 














 
 


 


 

Wednesday, 6 January 2021

बीआर पर्वतीय पर्यटन - मंदिरों एवं पर्वतीय शांति का शहर (B.R Hills Tourist place)

 

बी आर हिल्स या बिलगिरी रंगना हिल्स पश्चिमी घाट की पूर्वी सीमा पर स्थित एक पर्वतीय श्रंखला है। पूर्वी और पश्चिमी घाट के मिलन बिन्दु पर स्थित यह श्रंखला एक विस्तृत पारिस्थितिकी तंत्र को जन्म देती है। बिलगिरी रंगना हिल्स का नामकरण एक श्वेत पर्वत की चोटी पर स्थित रंगास्वामी मंदिर के नाम पर पड़ा है।ये पहाड़ियां चामराजनगर जिले में तमिलनाडु से छूती कर्नाटक की दक्षिण पूर्वी सीमा पर स्थित हैं।
 


 

पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर

 बीआर हिल्स एक तीर्थ स्थान है, सुंदर बिलगिरी रंगास्वामी मंदिर को धन्यवाद। मंदिर सफेद पहाड़ी की चोटी पर स्थित है अतः इस चोटी का नाम भी बिली गिरी पड़ गया तथा इस मंदिर में स्थापित आराध्य को बिलीगिरी रंगा कहा जाता है।यह भगवान रंगनाथ को समर्पित है; यहाँ उनको एक अनोखी मुद्रा में खड़े हुए दिखाया गया है तथा साथ में उनकी सहचरी भी हैं। अप्रैल में मंदिर में होने वाला उत्सव लाखों पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है।
 
पर्यटक व स्थानीय जनजातियां इस दौरान ईश्वर के मंदिर में साथ-साथ दिखाई देना उनके बीच के सांस्कृतिक विभेदों के मिलन का आदर्श प्रस्तुत करता है तथा जिसे देखकर आगन्तुक गदगद हो उठते हैं। 

पारिस्थितिकी तंत्र में वन्यजीवन

 बिलिगिरी रंगास्वामी मंदिर वन्यजीव अभ्यारण्य या संक्षेप में बी आर टी वन्यजीव अभयारण्य ( या बी आर हिल्स वन्यजीव अभयारण्य )का विस्तार लगभग 539 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। 5091 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह प्राकृतिक रिजर्व पश्चिमी और पूर्वी घाटों को जोड़ने वाली पहाड़ी पर स्थित है। यहां शुष्क और पर्णपाती वनस्पतियों से लेकर सदाबहार वनस्पतियों समेत कई किस्में पायी जाती हैं।
   
  पौध जीवन की विविधता यहां बड़ी संख्या में पाये जाने वाले पशुओं के लिए एक बड़ा सहारा सिद्ध होते हैं। इस वन्यजीव अभयारण्य की सीमाएं तमिलनाडु के इरोड जिले में स्थित सत्यमंगलम वन्यजीव अभयारण्य के साथ जुड़ी हैं। यहां जंगलों में गौर , भालू , चीतल , सांभर , बाघ, तेंदुए , जंगली कुत्ते , हाथी और चार सींग वाले मृग पाये जाते हैं।
 अभयारण्य में कलगी ईगल , सफेद पंखों वाला तैसा और रैकेट पूंछ वाला ड्रान्गो सहित 200 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का आश्रय है।

और साहसिक कृत्यों के लिए

  बीआर हिल्स साहसिक खेलों जैसे ट्रैकिंग और राफ्टिंग के लिए अच्छा अवसर उपलब्ध कराती हैं तथा इन इन पहाड़ियों से होकर बहती कावेरी और कपिला नदियां मछली पकड़ने एवं नाव की सवारी करने का अवसर प्रदान करती हैं। 

बीआर हिल्स की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय

  आप चाहे किसी तीर्थ यात्रा पर जा रहे हों या एक रोमांचक छुट्टी की तलाश में हों, बीआर हिल्स आपके लिए एक आदर्श गंतव्य हो सकती हैं। यदि आप मंदिर की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो आप अप्रैल में इस मंदिर की यात्रा कर सकते हैं, क्योंकि यह समय कार त्योहार का समय होता है।
 
 यदि आपकी योजना वन्यजीव अभ्यारण्य को देखने की है, तो जून से अक्टूबर तक का समय सबसे बेहतर होता है क्योंकि इस समय वर्षा के कारण वन्य जीवन सामने आ जाता है। शांत और सुखद छुट्टियां बिताने की चाहत रखने वाले लोगों के लिए यह स्थान आदर्श स्थान है ! 

बीआर हिल्स कैसे पहुंचे यह

 हवाई, सड़क और रेल मार्ग से सुलभ है।  


सड़क मार्ग 

बीआर हिल्स के लिए मैसूर, कोलेगल, कंकापुरा तथा चामराजनगर जैसे नजदीकी शहरों व कस्बों के लिए बसें उपलब्ध हैं। पर्यटक बंगलौर से गंतव्य पहुंचने के लिए के.एस.आर.टी.सी.( कर्नाटक राज्य परिवहन निगम), डीलक्स,वोल्वो तथा सुपर फास्ट पर्यटक बसें ले सकते हैं।

  ट्रेन द्वारा

 बीआर हिल्स के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन लगभग 82 किमी की दूरी पर स्थित मैसूर रेलवे स्टेशन है। यहां पहुंचकर बी आर हिल्स तक के लिए पर्यटक टैक्सी, कैब या बसें ले सकते हैं। 

  एयर द्वारा

   मैसूर हवाई अड्डा सबसे नजदीकी घरेलू हवाई अड्डा है जो बी आर हिल्स को भारत के प्रमुख शहरों जैसे मुम्बई तथा चेन्नई आदि से जोड़ता है। बी आर हिल्स से इसकी दूरी लगभग 80 किमी है। लगभग 217 किमी की दूरी पर स्थित बंगलौर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा हिल्स की सबसे नजदीकी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यूरोप,एशिया,अमेरिका तथा मध्य पूर्व से आने वाले पर्यटकों के लिए बंगलौर हवाई अड्डा बिल्कुल आदर्श है।
 

बीआर हिल्स इसलिए है प्रसिद्ध

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 १. बिलीगिरी रंगास्वामी मंदिर, बीआर हिल्स


 

    बी.आर. हिल्स की यात्रा में यात्रियों को पर्वतीय श्रंखला पर स्थित बिलीगिरी रंगास्वामी मंदिर अवश्य देखना चाहिए। बिलीगिरी रंगास्वामी मंदिर भगवान वेंकटेश को समर्पित है। पूरे भारत में भगवान रंगनाथ को समर्पित मंदिरों में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां आराध्य की मूर्ति खड़ी अवस्था में है। मुख्य देवता की मूर्ति के अलावा, मंदिर में देवता की अर्धांगिनी, रंगनायकी की भी मूर्ति है।
  
   प्रत्येक शुक्रवार को यहां एक खास पूजा का आयोजन किया जाता है। श्रीवैष्णव मत के अनुयायियों के लिए बिलीगिरी रंगास्वामी मंदिर का बड़ा महत्व है, क्योंकि इस क्षेत्र की स्थानीय जनजातियां दो वर्ष में एक बार भगवान रंगनाथ को एक फुट 9 इंच लम्बी खाल की चप्पलें भेंट करते हैं।
  
  अप्रैल में वैशाख के समय इस तीर्थ स्थल पर होने वाला कार उत्सव(रथ उत्सव) भारत के सभी भागों से हजारों की संख्या में भक्तों को यहां आने के लिए मजबूर करता है।

 २.डोडा शम्पीज मारा, बीआर हिल्स


 

 
    यदि समय मिले तो पर्यटक बीआर हिल्स की यात्रा के दौरान डोडा शम्पीज भी देख सकते हैं। अंग्रेजी में इसको 'बिग चम्पक ट्री' कहते हैं। यह पेड़ लगभग 34 मीटर ऊंचा तथा 20 मीटर चौड़ा है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, यह पेड़ लगभग 2000 साल से ज्यादा पुराना है। डोडा शम्पीज मारा बीआर हिल्स से लगभग 4 किमी दूर मंदिर के भीतर स्थित है। यहां पहुंचने पर, पर्यटकों को आस पास के क्षेत्र में कई लिंगम देखने को मिलेंगे।
 
  डोडा शम्पीज मारा सोलिगा जनजाती और अन्य मूल निवासी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अप्रैल के महीने में इस पेड़ पर लाल और पीले रंग के फूल खिलते हैं। पेड़ की शाखाएं चोटी की तरह होती हैं इसलिए इसकी तुलना भगवान शिव से की जाती है। सोलिगा जनजातियों के लिए डोडा शम्पीज मारा एक देवता हैं जो महाशिवरात्रि के मौके पर फायर डान्स करते हैं।
 
  वृक्ष सोलिगा जनजाती की जीवन शैली को दर्शाता है जिसमें प्रकृति मां के साथ उनका संबंध शामिल है। कावेरी नदी की सहायक नदी भारगवी नदी इस वृक्ष के तने से बहती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह जलधारा प्रसिद्ध हिन्दु साधु जामदगनी की पत्नी रेणुका का मानवीयकरण है।

३.बीआरटी वन्यजीव अभ्यारण्य, बीआर हिल्स


 
 
   बी.आर.टी वन्यजीव अभ्यारण्य बी आर हिल्स का मुख्य आकर्षण हैं तथा कर्नाटक के दक्षिणी क्षेत्र में तुंगभद्रा और कावेरी नदी के मध्य स्थित हैं। अन्य नाम बिलगिरी रंगास्वामी मंदिर वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में जानी जाने वाली ये पहाड़ियां समुद्र तल से 5091 फिट की ऊंचाई पर स्थित हैं तथा इनका विस्तार 540 स्कावयर किमी क्षेत्र में है।    
 
   यह अभ्यारण्य वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत संरक्षित है। इस अभ्यारण्य की योजना बनाने वाले पर्यटकों को यहां विभिन्न प्रकार की वन्यजीव व वनस्पतियां देखने को मिलेंगी। बी.आर.टी वन्य जीव अभ्यारण्य में हाथी, सांभर, लुप्तप्राय बाघ तथा गौर और ऐसे कई अन्य वन्य जीव देखने को मिल जायेंगे। अभ्यारण्य में तितलियों की लगभग 116 प्रजातियां एव सरीसृपों की 22 प्रजातियां पायी जाती हैं।
 
  इस अभयारण्य में पक्षियों की लगभग 225 प्रजातियां हैं, जिनमें से कुछ अर्थात् सीटी मारने वाली चिड़िया, पीले गले वाली बुलबुल, रैकेट पूंछ वाला ड्रोंगो,क्रेस्टेड हाक ईगल, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, पहाड़ी मैना समेत कई अन्य शामिल हैं। जहां तक वनस्पतियों की किस्मों का संबंध है, बी आर टी वन्यजीव अभयारण्य में सदाबहार, शुष्क साफ़, चरागाह वनस्पति, पर्णपाती और सवाना वन पाये जाते हैं।
  
 इन सभी चीजों को देखने के लिए पर्यटकों के लिए जीप सफारी एवं हाथी की सवारी उपलब्ध रहती हैं। विभिन्न वनस्पतियों और जीव प्रजातियों को देखने के अतिरिक्त, पर्यटक यहां शौकिया मछली पकड़ने, बोटिंग करने, पेशेवर रूप में मछली पकड़ने जैसी साहसिक गतिविधियों का लुत्फ उठा सकते हैं। बीआरटी वन्यजीव अभयारण्य के लिए यात्रा के बारे में सोच रहे पर्यटकों को इस स्थान का दौरा अक्टूबर से मई तक करना चाहिए।

 होटल

Jungle Lodges K Gudi Wilderness Camp,बीआर हिल्स


सुविधाएं

 Though nestled amidst wilderness, K Gudi Wilderness Camp has numerous facilities to offer to the visitors. The camp has a Gol Ghar, an open-to- sides edifice, which is the guests dining area. It is an ideal setting to enjoy ones meal in the middle of nature. The food is sumptuous and delectable with a local flavour. The regular buffet includes both vegetarian and non-vegetarian Indian delicacies.

 
 

बीआर हिल्स फोटो











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Tuesday, 5 January 2021

दार्जिलिंग - भारत में चाय का स्वर्ग (Darjaling-India)

 


   भारतीय फिल्मों में तो आपने दार्जिलिंग को कई बार देखा होगा। हॉलीवुड की भी एक फिल्म में विश्व प्रसिद्ध दार्जिलिंग हिमालियन रेलवे को दिखाया गया है। यह एक छोटी रेलवे सेवा जो पर्वतों से होकर गुजरती है। इस सफर में आप विहंगम प्राकृतिक दृश्यों का लुत्फ उठा सकते हैं। दरअसल दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल में स्थित एक हिल स्टेशन है और आप यहां बर्फ से ढंकी चोटियां देख सकते हैं।
    देखा जाए तो लघु हिमालय यानी महाभारत पर्वत श्रृंखला में बसा दार्जिलिंग वास्तव में स्वर्ग सरीखा है। दार्जिलिंग शहर ब्रिटिश शासनकाल से ही पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता रहा है। साथ ही यहां के विशाल चाय बागान और गुणवत्तापूर्ण चाय की लोकप्रियता पूरे विश्व में है। वास्तव में दार्जिलिंग से विभिन्न प्रकार के चाय और विभिन्न गुणवत्ता वाले चाय का बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है। 
    You must have seen Darjeeling many times in Indian films.  The Hollywood film also featured the world famous Darjeeling Himalayan Railway.  It is a small railway service that passes through the mountains.  In this journey you can enjoy spectacular natural scenery.  Actually Darjeeling is a hill station located in West Bengal and you can see snow-capped peaks here.
   If seen, Darjeeling, situated in the small Himalayas, the Mahabharata mountain range, is really like heaven.  The city of Darjeeling has been known as a tourist destination since the British rule.  Also, the huge tea plantations and quality tea here are popular all over the world.  In fact, various types of teas and various quality teas are extensively exported from Darjeeling.

युद्ध स्मारक

 आज भले ही दार्जिलिंग एक शांत और खूबसूरत शहर है, पर इनका इतिहास काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है। इस शहर पर नियंत्रण करने के लिए कई युद्ध हुए हैं। आज की बात करें तो अलग गोरखालैंड की मांग करने वाले जब—तब छिटपुट हिंसा कर देते हैं। अगर आप दार्जिलिंग जा रहे हैं तो बर्फ से ढंकी विशाल चोटी की पृष्ठभूमि में बने दार्जिलिंग युद्ध स्मारक को देखना न भूले। यह जगह खासकर फोटोग्राफरों को काफी पसंद आता है। 
 Even though Darjeeling is a quiet and beautiful city today, its history has been very volatile.  There have been many wars to control this city.  In today's case, those who demand a separate Gorkhaland commit sporadic violence every now and then.  If you are going to Darjeeling, then do not forget to see the Darjeeling War Memorial built against the backdrop of the huge snow-capped peak.  This place is especially liked by photographers.

दार्जिलिंग की प्रकृति (Nature of darjeeling)

   दार्जिलिंग में आप अल्पाइन और साल व ओक के पेड़ों से लैश समशीतोष्ण जंगलों को दखे सकते हैं। मौसम में परिवर्तन के बावजूद दार्जिलिंग के जंगल हरे—भरे हैं, जिससे पर्यटन को नया आयाम मिलता है। शहर में कुछ प्राकृतिक पार्क भी हैं। इनमें से पड़माजा नायडू हिमालियन जूलॉजिकल पार्क और लॉयड बॉटनिकल गार्डन प्रमुख है। शाम के समय में आपको इन जगहों पर बड़ी संख्या में प्रकृतिप्रेमी और फोटोग्राफर देखने को मिल जाएंगे। दार्जिलिंग कई किस्म के आर्किड के लिए भी जाना जाता है।
     In Darjeeling you can see alpine and lash temperate forests with sal and oak trees.  Despite the change in weather, the Darjeeling forests are lush, giving a new dimension to tourism.  There are also some natural parks in the city.  Of these, Padmaja Naidu Himalayan Zoological Park and Lloyd Botanical Garden are the main ones.  In the evening time, you will find a large number of nature lovers and photographers at these places.  Darjeeling is also known for a variety of orchids.

  

खानपान (food and drink)

 यहां के स्थानीय व्यंजन का लुत्फ उठाना एक यादगार अनुभव साबित हो सकता है। मोमोज (एक तरह की पकौड़ी) की इस क्षेत्र में खासी लोकप्रियता है। इसे गर्म सॉस के साथ परोसा जाता है और इसे चिकन, बीफ, वेजटेबल या पोर्क के साथ बनाया जाता है। अन्य स्ट्रीट फूड में विभिन्न तरह के नूडल के सूप और कुछ मसालेदार चावल प्रमुख है।  
    Enjoying the local cuisine here can prove to be a memorable experience.  Momoj (a type of dumplings) has a great popularity in the region.  It is served with hot sauce and is made with chicken, beef, vegtable or pork.  Other street foods include a variety of noodle soups and some spicy rice staple.

वन्यजीव  (Wildlife)

  इस क्षेत्र में वन्यजीव के संरक्षण का जिम्मा पश्चिम बंगाल वन विभाग के पास है। इस क्षेत्र में पाए जाने वाले कुछ सामान्य जानवारों में एक सिंघ वाले गेंडे, हाथी, भारतीय बाघ, तेंदुआ और पाढ़ा प्रमुख है। दार्जिलिंग पक्षियों के लिए भी जाना जाता है। आप यहां ढेरों सुंदर प्रवासी पक्षियों को उड़ते हुए देख सकते हैं।दार्जिलिंग के माल रोड पर आप शॉपिंग का आनंद ले सकते हैं।
 
अगर आपको मोलभाव करना आता हो तो सस्ते दामों में कुछ अच्छी चीजें खरीद सकते हैं। स्थानीय लोग काफी मिलनसार होते हैं और यहां दुर्गा पूजा, दिवाली और काली पूजा पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा यहां बड़ी संख्या में स्थानीय भी त्योहार मनाए जाते हैं। कहने की जरूरत नहीं, आप कभी भी दार्जिलिंग चलें जाएं, आपको माहौल उत्सवी ही मिलेगा। यहां के बौद्ध मठों में जाकर आप स्थानीय संस्कृति से रू-ब-रू हो सकते हैं।  
   The West Bengal Forest Department is responsible for wildlife conservation in the region.  A common rhinoceros, elephant, Indian tiger, leopard and Padha are some of the common animals found in this region.  Darjeeling is also known for birds.  You can see many beautiful migratory birds flying here. You can enjoy shopping on the Mall Road of Darjeeling.

 If you know how to bargain, you can buy some good things at cheap prices.  The locals are quite affable and Durga Puja, Diwali and Kali Puja are celebrated with full enthusiasm here.  Apart from this, a large number of local festivals are also celebrated here.  Needless to say, anytime you go to Darjeeling, you will get the atmosphere.  You can get acquainted with the local culture by visiting the Buddhist monasteries here.

औपनिवेशिक निर्माण (Colonial construction)

 दार्जिलिंग में आप कई औपनिवेशिक निर्माण देख सकते हैं। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान यह शहर काफी व्यवस्थित हुआ करता था। ज्यादातर भवनों को आज भी सुरक्षित रखा गया है और आप शहर में ब्रिटिश शासनकाल के अवशेष भी देख सकते हैं। यहां के गौथिक शैली में बने चर्च की खूबसूरती देखने लायक है।
   
दार्जिलिंग के लोग शहर को और ज्यादा घूमने लायक बना देते हैं। वे काफी जीवंत होते हैं और कई तरह के वाद्य यंत्र बजाने में माहिर होते हैं। संगीतप्रेमी अक्सर यहां के विभिन्न छोटे स्ट्रीट क्लबों के बारे में लिखते रहते हैं। देखा जाए तो यहां की संस्कृति में संगीत घुल सा गया है। अगर आप अकेले या परिवार के साथ कहीं घूमने जाना चाहते हैं तो दार्जिलिंग एक आदर्श स्थान हो सकता है। कई छोटे—छोटे शहर यहां से करीब में ही हैं। अगर आप पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र में दूसरे शहरों को घूमना चाहते हैं तो दार्जिलिंग आपके लिए बेस का काम करेगा।

 
In Darjeeling you can see many colonial constructions.  The city used to be quite organized during the British rule.  Most of the buildings are still preserved and you can see the remains of British rule in the city.  The beauty of the Gothic style of the church is worth seeing here.

 The people of Darjeeling make the city more worth visiting.  He is quite lively and specializes in playing a variety of instruments.  Music lovers often write about the various small street clubs here.  If seen, the music has dissolved in the culture here.  Darjeeling can be an ideal place if you want to go out alone or with family.  Many small cities are close by here.  If you want to visit other cities in the northern region of West Bengal, then Darjeeling will act as a base for you.

दार्जिलिंग और आसपास के पर्यटन स्थल (Darjeeling and nearby tourist places)

 दार्जिलिंग में पर्यटकों के लिए काफी कुछ है। इनमें से हैप्पी वैली टी एस्टेट, लॉयड बॉटनिकल गार्डन, दार्जिलिंग हिमालियन रेलवे, बतासिया लूप व युद्ध स्मारक, केबल कार, भूटिया बस्टी गोंपा और हिमालियन माउंटेनीरिंग इंस्टीट्यूट और म्यूजियम प्रमुख है। 
  Darjeeling has a lot for tourists.  Prominent among them are Happy Valley Tea Estate, Lloyd Botanical Garden, Darjeeling Himalayan Railway, Batasia Loop and War Memorial, Cable Car, Bhutia Busty Gompa and Himalayan Mountaineering Institute and Museum.

दार्जिलिंग का मौसम (Darjeeling weather)

 दार्जिलिंग के मौसम को मुख्य तौर पर गर्मी, बरसात और ठंड में बांटा जा सकता है। गर्मी का मौसम जहां सामान्य होता है, वहीं यहां कड़ाके की ठंड पड़ती है।  
  
The Darjeeling season can be mainly divided into summer, rain and winter.  Where the summer season is normal, it is bitterly cold.

कैसे पहुंचें दार्जिलिंग  (How to reach Darjeeling)

  पश्चिम बंगाल के प्रमुख हिस्सों से अच्छे से जुड़ा हुआ है। एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल होने के कारण यहां पहुंचना कोई मुश्किल काम नहीं है।
  Well connected to major parts of West Bengal.  Being a famous tourist destination, reaching here is not a difficult task.

 

सड़क मार्ग (Roadway)

 नेशनल हाइवे 31 और नेशनल हाइवे 55 के जरिए दार्जिलिंग आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह सिलीगुड़ी और कलिम्पोंग से काफी नजदीक है।
   Darjeeling is easily accessible through National Highway 31 and National Highway 55.  It is very close to Siliguri and Kalimpong.

ट्रेन द्वारा (By train)

 दार्जिलिंग में रेलवे स्टेशन भी है। हालांकि बड़ा रेलवे स्टेशन सिलीगुड़ी के पास जलपाईगुड़ी में है, जो इसे राज्य और देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। 
  Darjeeling also has a railway station.  However, the major railway station is at Jalpaiguri near Siliguri, which connects it to the rest of the state and the country.

एयर द्वारा (By air)

 दार्जिलिंग पहुंचने के लिए सिलीगुड़ी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का सहारा लेना पड़ेगा। यह एयरपोर्ट देश के कुछ शहरों के अलावा विदेशों से भी जुड़ा हुआ है। 
  To reach Darjeeling, one has to resort to Siliguri International Airport.  Apart from some cities of the country, this airport is also connected to foreign countries.

 

१. दार्जिलिंग हिमालियन रेलवे, दार्जिलिंग (Darjeeling Himalayan Railway, Darjeeling)




यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। दार्जिलिंग में टॉय ट्रेन की शुरुअता 1800 ईस्वी में की गई थी। आज यह भारत की एकमात्र मिनी रेलवे सुविधा है। वैसे तो टॉय ट्रेन अपने नीयत समय पर चलती है, पर घूमने के उद्देश्य से भी इसे चलाया जाता है। ट्रेन से दिखने वाला नजारा लाजवाब होता है। टॉय ट्रेन की सवारी किए बिना दार्जिलिंग की यात्रा अधूरी मानी जाएगी। इसे कई बॉलीवुड फिल्मों में भी दिखाया गया है।
   It is a UNESCO World Heritage Site.  The toy train in Darjeeling was introduced in 1800 AD.  Today it is the only mini railway facility in India.  Although the toy train runs on its own schedule, it is also run for the purpose of walking.  The sight visible from the train is excellent.  Traveling to Darjeeling without riding a toy train would be considered incomplete.  It has also been featured in several Bollywood films.
 

२. बतासिया लूप और युद्ध स्मारक, दार्जिलिंग (Batasia Loop and War Memorial, Darjeeling)


इसका निर्माण आजादी से पहले स्वतंत्रता संघर्ष और विभिन्न लड़ाइयों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजली देने के लिए किया गया है। इसके अलावा यहां पर टॉय ट्रेन हेयरपिन टर्न लेती है। यहां से कंचनजंघा पर्वत श्रृंखला का विहंगम नजारा देखने को मिलता है। साथ ही यहां पर एक छोटा सा बाजार है, जहां से आप चाहें तो कुछ उत्कृष्ट स्थानीय उत्पाद खरीद सकते हैं। अगर आप इस स्थान पर जा रहे हैं तो कैमरा साथ ले जाना न भूलें।
 
  It has been constructed to pay tribute to those killed in the freedom struggle and various battles before independence.  Apart from this, the toy train here takes a hairpin turn.  From here one can get a panoramic view of the Kanchenjunga mountain range.  Also there is a small market from where you can buy some excellent local products if you want.  If you are going to this place, do not forget to take the camera with you.


 

३. लॉयड बॉटनिकल गार्डन, दार्जिलिंग (Lloyd Botanical Garden, Darjeeling)

 

कुछ दुर्लभ वन्यजीव व वनस्पति, बेहतरीन मौसम और चारों तरफ फैली हरियाली लॉयल बॉटनिकल गार्डन को एक आदर्श स्थान बना देते हैं। 80 एकड़ का यह गार्डन दार्जिलिंग के करीब एक तिहाई हिस्से में फैला हुआ है। बरसात के समय आर्किड के बागान अपने शबाब पर होते हैं और यहां के कुछ स्टॉल पर इसे बिक्री के लिए भी रखा जाता है।

 Some rare wildlife and vegetation, excellent weather and greenery all around make Loyal Botanical Garden an ideal place.  This 80-acre garden is spread over one-third of Darjeeling.  During the rainy season, orchid orchards are in their best shape and are also put up for sale at some of the stalls here.





 

 ४. हेप्पी वैली टी एस्टेट, दार्जिलिंग (Happy Valley Tea Estate, Darjeeling)


दार्जिलिंग में होते हुए चाय बगान को घूमने सबसे अच्छा रहेगा। अगर आप चाहें तो यहां से विश्व के कुछ बेहतरीन चाय का चुनाव कर सकते हैं। दार्जिलिंग टी एस्टेट से बड़ी मात्रा में चाय का निर्यात भी किया जाता है। हेप्पी वैली टी एस्टेट उन जगहों में से एक है जहां प्रशासन पर्यटकों को घूमने की इजाजत देता है।
  It is best to roam the tea plantation in Darjeeling.  If you want, you can choose some of the best teas in the world from here.  Large quantities of tea are also exported from Darjeeling tea estate.  Happy Valley Tea Estate is one of the places where the administration allows tourists to roam.
 

 

५. केबल कार, दार्जिलिंग (Cable car, Darjeeling)


शहर से तीन किमी दूर एक रोपवे है, जो आपको दार्जिलिंग से रंगित घाटी तक ले जाती है। दूसरे छोर पर सिंगला बाजार है। रोपवे की सवारी बादलों से होकर गुजरती है और यहां से आप नीचे के चाय बागान का विहंगम नजारा देख सकते हैं। अगर आपने केबल कार की सवारी नहीं की तो दार्जिलिंग की यात्रा अधूरी मानी जाएगी। इसे भारत के सबसे पुराने रोपवे का दर्जा भी प्राप्त है।
 
 There is a ropeway three km from the city, which takes you from Darjeeling to Rangit Valley.  At the other end is Singla Bazaar.  The ropeway ride passes through the clouds and from here you can have a panoramic view of the tea estate below.  If you did not ride a cable car, then the journey to Darjeeling would be considered incomplete.  It also has the status of India's oldest ropeway.


 अधिक फ़ोटोज़  (More photos)






दार्जिलिंग के आसपास पर्यटन स्थल  (Tourist places around Darjeeling)

 

१. जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल

     Distance from Darjeeling
        110 km - 2 Hrs 5 mins

 २. मोंगपोंग, पश्चिम बंगाल 

     Distance from Darjeeling 
        66.0 km - 1 Hr 44 mins




 ३.बिन्दु, पश्चिम बंगाल


     Distance from Darjeeling
        615 km - 11 Hrs 20 mins 
     Best Time to Visit बिन्दु
        अक्टूबर
 
 

 

 

 


 



 




 



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